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शिक्षक शिक्षण केंद्र

केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान (सीआईएचटीएस) दर्शन और शिक्षा की समृद्ध परंपराओं के साथ आधुनिक शिक्षा के प्रावधान के माध्यम से शिक्षकों और शिक्षक प्रशिक्षकों में समग्र और एकीकृत विकास को प्रोत्साहित करने हेतु समर्पित है, जिसमें ज्ञानमीमांसा की मानसिक और तर्क आधारित शिक्षाएं शामिल हैं और जो भारत के तत्कालीन प्राचीन नालंदा (मठ) विश्वविद्यालयी परम्परा से प्रेरित है।

शिक्षकों और प्रशिक्षकों में गुणवत्तापूर्ण एवं प्रभावी शिक्षण प्रणाली की तात्कालिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, सीआईएचटीएस में शिक्षक शिक्षा केंद्र (सीटीई) ने अग्रणी रूप से एक अभिनव कार्यक्रम प्रारंभ किया है। 2014-15 के शैक्षणिक सत्र से, सीटीई ने चार वर्षीय एकीकृत बी.ए. बी.एड. / बी.एस.सी. बी.एड. की शुरुआत की है तथा दो वर्षीय बी.एड. कार्यक्रम का संचालन धर्मशाला के शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता था। इन दोनों कार्यक्रमों को भारत में शिक्षक-शिक्षण की निगरानी करने वाली शीर्ष संस्था, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अनुमोदन और मंजूरी मिल गई है।

वर्तमान में संस्थान सीटीई 4-वर्षीय एकीकृत बी.ए. बी.एड. कार्यक्रम का संचालन कर रहा है, साथ ही दो वर्षीय बी.एड. कार्यक्रम, प्रत्येक (प्रभाग) सेमेस्टर में "तिब्बती भाषा और साहित्य" एक अनिवार्य विषय के रूप में सम्मलित किया गया है । इस प्रश्नपत्र को शामिल करने का उद्देश्य तिब्बती मूल और हिमालयी क्षेत्र में रहने वालों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना तथा साथ में तिब्बती भाषा में दक्षता को बढ़ाना है।

इसके अतिरिक्त, प्रत्येक खण्ड में द्वंदात्मक "बौद्ध तर्क, मनोविज्ञान और संज्ञानात्मक विज्ञान के मूल सिद्धांत" को एक अनिवार्य प्रश्नपत्र के रूप में शामिल किया गया है। यह पाठ्यक्रम शिक्षण-प्रशिक्षण की तिब्बत की पारंपरिक पद्धति पर आधारित है, जो शिक्षार्थियों को तर्क की अवधारणा के साथ मानचित्रण के माध्यम से विषयों को पढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल से युक्त करता है। यह प्रश्नपत्र कार्यक्रम के अन्तराल में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में क्रियाशील है, जो केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के विद्यार्थियों के शैक्षिक अनुभव को और समृद्ध और सशक्त करता है।