SOWARIGPA PORTAL

सूचना पट्ट

स्वयं का विवरण-

सोवा-रिग्पा विभाग

  • सोवा-रिग्पा विश्व की सबसे प्राचीन और प्रलेखित पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में से एक है, जो हजारों वर्षों से प्रचालन में है ।
  • यह चिकित्सा प्रणाली विश्वव्यापी है, विशेष रूप से यह तिब्बत, भारतीय हिमालय, नेपाल, भूटान, चीन, मंगोलिया, रूस आदि में लोकप्रिय और व्यापक रूप से प्रचलित थी।
  • सोवा-रिग्पा के अपने बहुत समृद्ध सिद्धांत और प्रथाएं हैं, यह प्रणाली विगत कई शताब्दियों तक विभिन्न मध्य एशियाई देशों की मान्य चिकित्सा-प्रणाली रही है ।
  • इसका श्रेय तिब्बत के प्राचीन सोवा-रिग्पा विद्वानों और अन्य मनीषियों को जाता है, जिनके द्वारा लिखित हजारों चिकित्सा शास्त्र/पुस्तकों की धरोहर को संरक्षित रखा गया है।
  • वर्तमान में, दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रदान करने वाली पारंपरिक चिकित्सा-प्रणालियों में एक सोवा-रिग्पा अपने समग्र दृष्टिकोण के साथ उपलब्ध है ।

भारत में सोवा-रिग्पा की स्थिति

  • कई देशों ने इस प्रणाली को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी है । भारत सरकार ने 2010 में इसे चिकित्सा प्रणालियों में से एक चिकित्सा-पद्धति के रूप में मान्यता दी है, जिसकी अधिसूचना वर्ष 2017 आधिकारिक राजपत्र द्वारा की गयी ।
  • भारत में यह प्रणाली भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
  • भारतीय चिकित्सा-प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग (एन.सी.आई.एस.एम.) ने शैक्षणिक सत्र 2021-2022, 2022-2023 और 2023-2024 के लिए शुरूआती एन.सी.आई.एस.एम. सोवा-रिग्पा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एन.ई.ई.टी.) अंडर ग्रेजुएट परीक्षा शुरू की है, जिसे के.उ.ति.शि.सं. द्वारा सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था।
  • सोवा-रिग्पा महाविद्यालय वर्तमान में भारत सरकार यानी सोवा रिग्पा एम.एस.ई. की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार सभी पाठ्यक्रम और गतिविधियों का अनुपालन और कार्यान्वयन कर रहा है।

महाविद्यालय के मूल उद्देश्यः

  1. सोवा-रिग्पा की परंपरा और इसकी प्रथाओं को संरक्षित और विकसित करना ।
  2. गम्भीर रोगों का परीक्षण और प्रायोगिक शिक्षा के आधार पर सोवा-रिग्पा को पढ़ाना ।
  • दुनिया भर में जनता के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में अपना योगदान देना ।
  • सोवा-रिग्पा के शोधकर्ताओं को शोध मार्गदर्शन और तत्संबंधी सुविधाएं प्रदान करना ।
  • लुप्तप्राय औषधीय जड़ी-बूटियों और उनके औषधीय प्रसंस्करण को संरक्षित करना।
  • शोध और अन्य प्रणालियों के संबंध में परिचर्चा के माध्यम से प्रणाली को समृद्ध करना।
  1. स्नातक कार्यक्रम को चलाने के लिए एन.सी.आई.एस.एम. के मानदण्डों के अनुसार इसमें आठ अलग-अलग विभाग हैं।
  2. महाविद्यालय सोवा-रिग्पा में स्नातक, परास्नातक और पी-एच.डी. कार्यक्रम चलाता है।