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शोध संकाय

शोध संकाय के.उ.ति.शि.सं. की उपयोगिता एवं उपादेयता का सबसे प्रमुख आधार है। प्राच्य भारतीय ग्रंथों का संरक्षण, तिब्बती में उपलब्ध ग्रंथों के अनुवाद के माध्यम से अपूर्ण या विलुप्त संस्कृत ग्रंथों का पुनरुद्धार, शब्दकोश परियोजना और तिब्बती साहित्य के प्रामाणिक सिद्धांत का सृजन करना एवं संस्थान के मुख्य उद्देश्यों को साकार करने में निरंतर प्रयत्नशील हैं। इसमें निम्नलिखित पांच विभाग शामिल हैं-

के.उ.ति.शि.सं. में डॉ. बी.आर. अंबेडकर रिसर्च प्रोफेसर नामक एक प्रतिष्ठित चेयर है। भारतीय और तिब्बती विद्वानों के संयुक्त प्रयास को तथा इन पांच विभागों की विशेष कार्य पद्धति को दुनिया भर में सराहा गया है। ये विभाग विभिन्न ऐतिहासिक कालखंडों में रंजना, भुजिमोल, प्राच्य नेवारी, मागधी, कुटिलाक्षर, शारदा, गौड़ी और गुप्त जैसी विभिन्न लिपियों पर काम करते हैं।