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सूचना पट्ट

शान्तरक्षित ग्रन्थालय

शांतरक्षित ग्रंथालय संस्थान का हृदय है। इसका नाम, प्राचीन नालन्दा महाविहार के एक प्रसिद्ध भारतीय बौद्ध पंडित के नाम पर रखा गया है, जो तिब्बती पठार पर बौद्ध धर्म के विकास में इस महान बौद्ध विद्वान् द्वारा दिये गए अतुलनीय योगदान की निरन्तर याद दिलाता है। संस्थान की सबसे उन्नत संरचनाओं (सेट अप) में से एक इस ग्रंथालय में छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त उन्नत आई.सी.टी. सेट अप और मल्टीमीडिया अनुभाग आदि हैं। भवन का मुख्य केन्द्र वह स्थान है, जहां परम पावन 14वें दलाईलामा द्वार प्रदत्त कंग्युर और तंग्युर का पूरा संग्रह रखा गया है ।. .

परिसर के केंद्र में एक चार मंजिली इमारत में स्थित यह ग्रंथालय तेजी से भारत और विदेशों से विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कुछ विद्वान् संस्थान में केवल पुस्तकालय में रखी इसकी समृद्ध विरासत को देखने आते हैं।

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