शैक्षणिक विभाग
सूचना पट्ट
पारंपरिक तिब्बती काष्ठकला विभाग
पारंपरिक तिब्बती काष्ठकला की समृद्ध परंपरा पर आधारित स्नातक (बी.एफ.ए.) और स्नातकोत्तर (एम.एफ.ए.) पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जिसमें जटिल नक्काशीदार पारंपरिक तिब्बती वेदी, सिंहासन, टेबल, स्तंभ और दरवाजे आदि बनाने का शिल्प सम्मिलित है, ताकि हर बौद्ध मठ को सुशोभित किया जा सके। पाठ्यक्रमों में सौंदर्यशास्त्र और कला के दर्शन के साथ-साथ बौद्ध कला के इतिहास की उप-श्रेणी और तिब्बती और अंग्रेजी भाषाओं की कक्षाएं शामिल हैं।
विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रम:
- स्नातक (बी.एफ.ए.)
- स्नातकोत्तर (एम.एफ.ए.)
पाठ्यक्रम की उपादेयता:
- पारंपरिक तिब्बती काष्ठकला में स्नातक (बी.एफ.ए.):
- पारंपरिक तिब्बती काष्ठकला में स्नातकोत्तर (एम.एफ.ए.)
- पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद, छात्र ऐतिहासिक शैलियों और दृश्य कला परंपराओं का विश्लेषण करने में सक्षम होंगे। वे महत्वपूर्ण और विश्लेषणात्मक सोच की सांस्कृतिक समझ विकसित करने में सक्षम होंगे।
- छात्र विभिन्न पूर्वी-पश्चिमी प्रवृत्तियों और आंदोलनों का विश्लेषण करने के बाद तुलनात्मक ढांचे का साक्षात् ज्ञान प्राप्त करते हैं।
- उन्हें लुप्तप्राय कला रूपों के मूल्य को समझने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है, इसलिए वे तिब्बती कला रूपों को पुनर्जीवित करने में सक्षम होंगे।
- ऐतिहासिक विकास का ज्ञान उन्हें न केवल परंपरा का बेहतर अध्येता बनाता है, अपितु उन्हें उसका गहन ज्ञान भी देता है। दर्शन उनको श्रेष्ठ के लिए प्रेरित करता है, परिणामस्वरूप वे बेहतर रचनात्मक कलाकार बनते हैं।
- व्यावहारिक और हाथ से सीखने से उन्हें सिद्धांत को व्यवहार में परिवर्तित करने और उपयोग करने के लिए पर्याप्त अवसर मिलता है।
- उन्हें प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली विषयवस्तु के विभिन्न रूपों को समझने और अनुभव करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है, चाहे वह पेंटिंग हो या लकड़ी की नक्काशी।
- तिब्बती और अंग्रेजी जैसी भाषाओं का ज्ञान उन्हें ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों के साथ भाषाई योग्यता प्रदान करता है, जिसमें विभिन्न ग्रंथ उपलब्ध हैं।
- पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद छात्र शिक्षण, कला, संग्रहालय, मार्गदर्शन आदि के क्षेत्र में आगे के अवसर प्राप्त करने में सक्षम होंगे।छात्र महान स्वतंत्र कलाकार बनकर उभरते हैं।