आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ
सूचना पट्ट
composition of iqac
राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक मान्यता प्राप्त संस्थान को मान्यता के बाद गुणवत्ता बनाए रखने के उपाय के रूप में एक आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई.क्यू.ए.सी.) स्थापित करना चाहिए। चूंकि गुणवत्ता में वृद्धि एक सतत प्रक्रिया है, इसलिए आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ संस्थान की प्रणाली का एक हिस्सा बन जाता है। इससे गुणवत्ता में विकास और निरंतर निगरानी की प्रक्रिया चलती रहती है, जिससे लक्ष्यों एवं उदेश्यों को साकार किया जा सकता है ।
15 अप्रैल, 2010 से राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) के मानक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुये, के.उ.ति.शि.सं.में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूऐसी) की स्थापना की गई जो संस्थान के गुणवत्ता उन्नयन, प्रदर्शन, आकलन एवं मूल्यांकन के लिए निरंतर सफल प्रयास कर रहा है ।
- हमारा प्रतीक चिह्न प्रतिबिम्बित करता हैः
पुष्प चक्र सारनाथ की स्थायी बौद्ध विरासत को प्रतिबिम्बित करता है। बोधिसत्व मंजुश्री की चमचमाती तलवार विवेक और ज्ञान का प्रतीक है, जो अज्ञानता के अंधेरे को दूर कर सतत प्रकाश करती है। नीला और नारंगी रंग क्रमशः आकाश और सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। एक साथ, एक सरल और परिष्कृत संरचना में वे केंद्रीयउच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान (सी.आई.एच.टी.एस.) के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई.क्यू.ए.सी.) का प्रतिनिधित्व करता है, जो समग्र रूप से एक उत्प्रेरक, सचेतक, सुसंगत एवं समसामयिक सुधार की प्रणाली स्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध है, ताकि संस्थान का प्रदर्शन और इसकी समग्र शैक्षणिक उत्कृष्टता दृष्टिगत हो ।
जैसा कि हमारे प्रतीक चिन्ह में दर्शाया गया है कि केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान (सी.आई.एच.टी.एस.) के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई.क्यू.ए.सी.) की प्राथमिक जिम्मेदारी संस्थान के विभिन्न स्तरों और क्षेत्रों में गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करना है। यह उच्च-गुणवत्ता युक्त शिक्षा एवं उसमे दक्षता और प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने के साथ उनका प्रत्येक स्तर पर मूल्यांकन करना है ।
- उद्देश्य
- आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ का मुख्य उद्देश्य संस्थान के शैक्षणिक और प्रशासनिक प्रदर्शन में सुधार के लिए सचेत, सतत और उत्प्रेरक योजनाबद्ध क्रियान्वयन करने हेतु एक गुणवत्ता प्रणाली का विकास करना है।
- आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ बेहतर शिक्षण-प्रशिक्षण एवं उसके अधिगमजन्य अनुभव के विकास के लिए सभी हितधारकों के बीच उपयोगी सहयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- यह प्रकोष्ठ अपने से सम्बद्ध विभिन्न इकइयों की समस्याओं के निवारण तंत्र के रूप में भी काम करता है।
- रणनीतियाँ -
- आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ निम्नलिखित सह-इकइयों के लिए एक तंत्र और प्रक्रियाएं विकसित करेगा:
- शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय कार्यों का समय पर, कुशल और प्रगतिशील प्रदर्शन सुनिश्चित करना ।
- शैक्षणिक और शोध कार्यक्रमों की गुणवत्ता एवं उसकी प्रासंगिकता ।
- समाज के विभिन्न वर्गों के लिए एक सामान शैक्षणिक कार्यक्रमों को उपलब्ध कराना ।
- शिक्षण और सीखने के आधुनिक तरीकों का अनुकूलन और एकीकरण ।
- मूल्यांकन प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता को स्थापित करना ।
- सभी उपयोगी संरचना और सहयोगी सेवाओं की उपलब्धता, रखरखाव और कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करना।
- भारत और विदेश में अन्य संस्थाओं के साथ शोध साझा करना और नेटवर्किंग करना ।
- कार्य -
- आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ से अपेक्षित या आवंटित कुछ कार्य हैं:
- संस्थान की विभिन्न शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों के लिए गुणवत्ता संबंधी बेंचमार्क/मापदंडों का विकास और उनका अनुप्रयोग ।
- उच्च शिक्षा के विभिन्न गुणवत्ता सम्बंधी मापदण्डों के सम्बन्ध में सूचना का प्रसार करना ।
- उच्च शिक्षा में गुणवत्ता से संबंधित विषयों पर कार्यशालाओं, संगोष्ठियों का आयोजन करना और गुणवत्ता को बढ़ावा देना ।
- गुणवत्ता में सुधार लाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों/गतिविधियों का दस्तावेजीकरण करना ।
- गुणवत्ता में सुधार लाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों/गतिविधियों की गुणवत्ता संबंधी गतिविधियों के लिए संस्थान की एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करना ।
- गुणवत्ता मापदंडों के आधार पर राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) को प्रस्तुत की जाने वाली वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट (ए.क्यू.ए.आर.) तैयार करना ।
- आई.क्यू.ए.सी. के फ़ायदे
- आई.क्यू.ए.सी. द्वारा प्रदत्त सुविधाएँ:
- उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और उत्कृष्टता के लिए नैक स्पष्टता का उच्च स्तर सुनिश्चित करना और गुणवत्ता बढ़ाने की दृष्टि से किये जाने वाले संस्थागत कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करना और गुणवत्ता संबंधी संस्कृति का अन्तर्राष्ट्रीयकरण करना ।
- संस्था की विभिन्न गतिविधियों एवं अच्छी परिपाटियों को बढ़ाना और तारतम्य सुनिश्चित करना ।
- संस्थागत कामकाज में सुधार करने सम्बन्धी अच्छे आधार तैयार करना ।
- संस्था में परिवर्तन हेतु प्रतिनिधि की भूमिका के रूप में कार्य करना।
- आंतरिक पत्राचार में सुधार करना ।