के.उ.ति.शि.सं. का सामाजिक प्रभाव : जीवन में परिवर्तन
एक विश्वविद्यालय की भूमिका समाज को केवल उच्च शिक्षा प्रदान करने से कहीं अधिक है; एक विश्वविद्यालय व्यापक मानवता की देखभाल करने के लिए भी जिम्मेदार है। केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी अपनी पूरी क्षमता के साथ जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए अपनी भूमिका और जिम्मेदारी को समझता है। संस्थान का दृष्टिकोण केवल ज्ञान प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आस-पास के क्षेत्र का विकास और सभी हितधारकों के बीच सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करना भी सर्वोपरि है। जिम्मेदारी की इस भावना को ध्यान में रखते हुए, के.उ.ति.शि.सं. ने सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवेश में आसपास के क्षेत्रों को बदलने में अग्रणी भूमिका निभाई है। के.उ.ति.शि.सं. में हम परोपकारी कार्यों के मूल्य को समझते हैं जो विभिन्न परोपकारी गतिविधियों में परिलक्षित होता है जिससे आस-पास के क्षेत्र गहराई से प्रभावित होते हैं। हम केवल शिक्षा के प्रावधान पर ही नहीं रुकते हैं, बल्कि अभूतपूर्व अनुसंधान भी करते हैं, विविधता को प्रोत्साहित करते हैं, विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक, रैलियों को आयोजित करते हैं । हमने क्षेत्र के निवासियों के जीवन को बदलने के संकल्प के साथ कुछ गांवों को भी अपनाया है। संस्थान के विकास और वृद्धि के साथ स्थानीय समुदाय के जीवन में भी परिवर्तन आया है।
विभिन्न मानवीय अभियान
के.उ.ति.शि.सं. के पास स्वच्छता, साइकिल रैलियाँ, वृक्षारोपण, कानूनी जागरूकता शिविर आदि जैसे विभिन्न अभियान हैं। संस्थान के छात्र किन्नौर, हिमाचल प्रदेश और अन्य हिमालयी क्षेत्रों के विभिन्न क्षेत्रों में मासिक शैक्षिक शिविर आयोजित करने की जिम्मेदारी लेते हैं। इसके अलावा, वे जरूरतमंद छात्रों को मुफ्त शैक्षणिक सामग्री भी वितरित करते हैं और अन्य संस्थानों की भी सहायता करते हैं।
संकट के समय सहायता में भागीदारी
छात्रों और संकाय सदस्यों ने सुनामी और कोशी बाढ़ राहत शिविरों के दौरान पूरे गांवों का निर्माण किया। संस्थान ने सबसे गरीब स्थानीय भारतीय समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एस.डब्ल्यू.ए, एस.एस.सी., वी.एस.एस.सी. तथा निर्वाण छात्र समूह का गठन किया है।
गोद लिए गए गांव
सामाजिक जिम्मेदारी को के.उ.ति.शि.सं. के ताने-बाने का एक महत्वपूर्ण तत्व मानते हुए, संस्थान ने दो पूरे गांवों - पटेरवाँ, भसौड़ी को अपनाया है और उन्हें पूरी तरह से बदल दिया है। संस्थान ने पेयजल, साफ-सफाई, स्वच्छता, वृक्षारोपण, राशन के मुफ्त वितरण, शैक्षणिक वस्तुओं, पुस्तकों और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संसाधन प्रदान करके दोनों गांवों के जीवन स्तर को गहराई से रूपांतरित किया है।
आर्थिक सहायता से सशक्त बनाना
सामाजिक कल्याण और जिम्मेदारी के प्रति विश्वविद्यालय की भूमिका को समझते हुए, केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ ने प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन, पानी, जूते वितरित करने के अभियान के साथ-साथ संकाय सदस्यों, अधिकारियों, कर्मचारियों और छात्रों द्वारा दिये गये योगदान द्वारा एक अच्छी धनराशी एकत्रित की।
लोकोपकारी कार्य की एक नई पटकथा लिखना
कोविड-19 के दौरान प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीणों की पीड़ा और दर्द को तुरंत के.उ.ति.शि.सं. जैसे जिम्मेदार संस्थान ने महसूस किया और इसके कुलपति ने परिसर के पास और आसपास के ग्रामीणों के दुःख को कम करने के लिए तुरंत काम किया।
के.उ.ति.शि.सं. कोरोना योद्धा
कोविड– 19 के दौरान, के.उ.ति.शि.सं. ने महामारी से उत्पन्न अराजकता को ठीक करने और प्रबंधित करने के लिए एक प्रमुख भूमिका निभाई। राशन, दवाओं, कंबलों के वितरण जैसी विभिन्न परोपकारी गतिविधियों का आयोजन किया गया।
हर संभव तरीके से राष्ट्र की सेवा करना
अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए, संस्थान ने अपने सभी कर्मचारियों के एक दिन के वेतन से एकत्रित कर पांच लाख रुपये की राशि का योगदान भी दिया।
आत्म-निर्भरता का पाठ पढ़ाना
शौचालयों की उचित सफाई और रखरखाव, सड़कों और उद्यान की सफाई, पौधों को पानी देना, इसके हरे-भरे उद्यानों का रखरखाव और संस्थान की पूरी तरह से स्वच्छता का कार्य छात्रों की मदद से और परिसर में सीमित आवासीय कर्मचारियों के समर्थन से किया गया ।
डिजिटल शिक्षा का नया चरण
संकाय सदस्यों ने ऑनलाइन शिक्षण के लिए जूम, एम.यस.– मीट, गूगल क्लास और ऐसे अन्य सूचना एवं संचार तकनीकी के उपकरणों का उपयोग किया। समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, भविष्यद्रष्टा संस्थान ने आधिकारिक तौर पर सिस्को वेबेक्स एप्लिकेशन को 60 दिनों के लिए मानार्थ सदस्यता के साथ सब्सक्राइब किया। अब संकाय सदस्य ऑनलाइन कक्षाओं के लिए सिस्को वेबेक्स एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे हैं।
रचनात्मक और सकारात्मक उन्नति की खोज
परिसर में रहने वाले छात्रों को रचनात्मक रूप से शामिल करने के लिए 25 मई 2020 को महामहिम पंचेन लामा के जन्मदिन के अवसर पर तिब्बती सुलेख और चित्रकला की एक प्रदर्शनी आयोजित की गई । कई छात्रों ने उत्साहपूर्वक अपने चित्रों और तिब्बती सुलेख लेखों के साथ प्रदर्शनी में भाग लिया।
सोवा-रिग्पा का नवोन्मेष : पारंपरिकता और आधुनिकता का संगम
सोवा-रिग्पा, जो केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान का एक शोध-आधारित चिकित्सा विभाग है,इसके पारंपरिक जड़ी-बूटियों से निर्मित औषधिया रोग प्रतिरोधक एवं स्वास्थ्यवर्धक है | जड़ी-बूटियों के मिश्रण से एक काढ़ा-मिश्रण तैयार किया है, जिसे चाय के रूप में प्रयोग किया जाता है। वायु शुद्ध करने के लिए शक्तिशाली पारंपरिक जड़ी बूटियों से सुगन्धित धूप तैयार किया गया है।
सकारत्मक विचार के साथ सहयोग
के.उ.ति.शि.स सभी प्रकार की सेवा भाव से चाहे वह स्वास्थ्य के सतत विकास, स्वच्छता अभियान, जागरूकता कार्यक्रम, शुद्ध पर्यावरण का संदर्भ हो,.हमेशा उनके मार्गदर्शन और उत्साह के साथ सबसे आगे रहता है।